भारतीय कृषि – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारतीय कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह न केवल हमारे लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि रोजगार के प्रमुख स्रोत के रूप में भी कार्य करती है। Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notesभारतीय कृषि” में, छात्रों को भारतीय कृषि की विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया जाता है।

इस लेख में, “Bihar Board Class 8th Hamari Duniya Chapter 2 Notes” के माध्यम से हम भारतीय कृषि के महत्व, इसके प्रकार, चुनौतियाँ, और इसे सुधारने के प्रयासों पर चर्चा करेंगे।

Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारतीय कृषि – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारतीय कृषि का देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना में अत्यधिक महत्व है। देश की लगभग 70% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है। यह हमारे लिए खाद्य, वस्त्र, और कच्चे माल का मुख्य स्रोत है। इसके अलावा, कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित करने का भी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। भारतीय कृषि की उत्पादकता देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करती है और अन्य क्षेत्रों के विकास के लिए आधार प्रदान करती है।

भारतीय कृषि के प्रकार:- भारत में कृषि विभिन्न प्रकार की होती है, जो भौगोलिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक कारकों पर निर्भर करती है। प्रमुख कृषि प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • बागवानी (Horticulture): बागवानी के अंतर्गत फल, सब्जियाँ, फूल, और औषधीय पौधों की खेती की जाती है। यह कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो किसानों को बेहतर आय और लाभ प्रदान करता है।
  • धान और गेहूं की खेती: धान और गेहूं भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसलें हैं। धान की खेती मुख्यतः पूर्वी और दक्षिणी भारत में की जाती है, जबकि गेहूं की खेती उत्तरी और पश्चिमी भारत में अधिक होती है।
  • दलहन और तिलहन: दलहन (Pulses) और तिलहन (Oilseeds) की खेती भी भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह फसलें भारतीय रसोई की अनिवार्य जरूरतें पूरी करती हैं और किसानों को स्थिर आय देती हैं।
  • पारंपरिक कृषि (Subsistence Farming): पारंपरिक कृषि मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ किसान अपनी पारिवारिक जरूरतों के लिए फसलें उगाते हैं। यह खेती न्यूनतम संसाधनों के साथ की जाती है।
  • व्यावसायिक कृषि (Commercial Farming): व्यावसायिक कृषि का उद्देश्य बड़े पैमाने पर फसल उत्पादन और बाज़ार में बिक्री करना है। इस प्रकार की कृषि में आधुनिक तकनीकों और यंत्रों का उपयोग होता है।
  • शुष्क भूमि कृषि (Dryland Farming): शुष्क भूमि कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ वर्षा की कमी होती है। इस प्रकार की कृषि में सूखा प्रतिरोधी फसलों का उत्पादन होता है।

भारतीय कृषि की चुनौतियाँ:- भारतीय कृषि में कई चुनौतियाँ भी हैं, जिनसे निपटना आवश्यक है:

  • मौसम पर निर्भरता: भारतीय कृषि का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मानसून पर निर्भर है। मानसून की अस्थिरता किसानों के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि यह फसलों की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करता है।
  • भूमि की कमी: कृषि योग्य भूमि की कमी एक बड़ी समस्या है। जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए होने लगा है, जिससे कृषि भूमि घट रही है।
  • जल संसाधनों की कमी: कृषि के लिए जल की उपलब्धता एक गंभीर समस्या है। भूजल स्तर में गिरावट और जल स्रोतों का सूखना किसानों के लिए जल संकट का कारण बनता है।
  • पुरानी तकनीकें: भारतीय कृषि में अभी भी पारंपरिक और पुरानी तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जिससे कृषि उत्पादन में कमी होती है। नई तकनीकों और यंत्रों का उपयोग करना आवश्यक है।
  • छोटे और सीमान्त किसान: भारतीय कृषि में अधिकांश किसान छोटे और सीमान्त हैं, जो न्यूनतम संसाधनों और पूंजी के साथ खेती करते हैं। इन किसानों के पास आधुनिक उपकरणों और सुविधाओं की कमी होती है।

भारतीय कृषि में सुधार के प्रयास:- भारतीय कृषि की चुनौतियों से निपटने और इसे अधिक उत्पादक बनाने के लिए कई सुधार किए गए हैं। ये सुधार निम्नलिखित हैं:

  • हरित क्रांति (Green Revolution): हरित क्रांति भारत में 1960 के दशक में आरंभ की गई थी। इसका उद्देश्य कृषि उत्पादन को बढ़ाना था। इस क्रांति के तहत उन्नत बीज, उर्वरक, और सिंचाई सुविधाओं का उपयोग किया गया, जिससे फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई।
  • कृषि मशीनीकरण: कृषि मशीनीकरण के माध्यम से कृषि कार्यों में मशीनों का उपयोग बढ़ा है। इससे किसानों की श्रमशक्ति में कमी आई है और कृषि कार्यों की गति और उत्पादकता में सुधार हुआ है।
  • फसल बीमा योजनाएँ: किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और फसल क्षति से बचाने के लिए फसल बीमा योजनाएँ लागू की गई हैं। इससे किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • कृषि ऋण सुविधाएँ:किसानों को कृषि कार्यों के लिए ऋण सुविधाएँ प्रदान की गई हैं, ताकि वे आधुनिक उपकरणों और उन्नत तकनीकों का उपयोग कर सकें। कृषि ऋण किसानों को उनकी जरूरतों के अनुसार वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
  • सिंचाई सुविधाओं का विस्तार: सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के माध्यम से किसानों को जल की उचित आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। नहरें, तालाब, और जलाशयों के निर्माण से सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ी है।
  • कृषि अनुसंधान और विकास: कृषि अनुसंधान और विकास के माध्यम से उन्नत बीजों, उर्वरकों, और कीटनाशकों का विकास किया गया है। यह किसानों को बेहतर फसल उत्पादन में सहायता प्रदान करता है।
  • कृषि शिक्षा और जागरूकता: किसानों को कृषि शिक्षा और जागरूकता प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इससे किसानों को नई तकनीकों और कृषि संबंधी जानकारी प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

भारतीय कृषि हमारे देश की समृद्धि और विकास का आधार है। “Bihar Board Class 8th Hamari Duniya Chapter 2 Notes” के माध्यम से छात्रों को भारतीय कृषि के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती है। भारतीय कृषि की चुनौतियों के बावजूद, इसके सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों ने इसे सशक्त बनाया है।

किसानों के लिए नई तकनीकों, मशीनीकरण, और सरकारी योजनाओं के माध्यम से कृषि की उत्पादकता में सुधार हुआ है। कृषि का समुचित विकास ही हमारे देश की आर्थिक स्थिरता और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकता है। इसीलिए, कृषि के प्रति जागरूकता और इसके सुधार के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक हैं।

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