जन्तुओं में प्रजनन – Bihar board class 8 science chapter 15 notes

प्रजनन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीवधारी अपनी संतान को जन्म देते हैं, जिससे उनके जीवन की निरंतरता बनी रहती है। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो प्राणियों में पीढ़ी दर पीढ़ी जीवन को बनाए रखने में मदद करती है। प्रजनन के माध्यम से जीवधारी अपनी विशेषताएँ अपनी संतान में स्थानांतरित करते हैं, जिससे संतान का विकास और अस्तित्व संभव होता है।

Bihar board class 8 science chapter 15 notes

इस प्रकार, “Bihar board class 8 science chapter 15 notes” के अंतर्गत जन्तुओं में प्रजनन पर आधारित इस लेख ने आपको इस विषय के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराया। आशा है कि यह लेख आपके अध्ययन के लिए सहायक सिद्ध होगा

जन्तुओं में प्रजनन – Bihar board class 8 science chapter 15 notes

जन्तुओं में प्रजनन के प्रकार:- जन्तुओं में प्रजनन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

  1. लैंगिक प्रजनन
  2. अलैंगिक प्रजनन

लैंगिक प्रजनन :- लैंगिक प्रजनन वह प्रक्रिया है जिसमें दो भिन्न लिंगों (नर और मादा) के जन्तु अपनी जनन कोशिकाओं (गैमेट्स) के माध्यम से संतान को जन्म देते हैं। इस प्रकार के प्रजनन में नर और मादा दोनों की भागीदारी आवश्यक होती है। नर जन्तु में शुक्राणु (स्पर्म) और मादा जन्तु में अंडाणु (एग) का निर्माण होता है। जब शुक्राणु और अंडाणु का मिलन होता है, तब नयी संतान का निर्माण होता है।

    लैंगिक प्रजनन की विशेषताएँ:

    • नवीनता: इस प्रकार के प्रजनन से उत्पन्न संतानों में आनुवंशिक विविधता होती है। यह विविधता उन्हें विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल होने में मदद करती है।
    • संयुक्त योगदान: नर और मादा दोनों जन्तु अपने-अपने जीनों का योगदान करते हैं, जिससे संतान के गुणधर्म निर्धारित होते हैं।
    • कशेरुकी जन्तुओं में लैंगिक प्रजनन: अधिकांश कशेरुकी जन्तु, जैसे मानव, गाय, कुत्ता, बिल्ली आदि, लैंगिक प्रजनन द्वारा संतान उत्पन्न करते हैं।

    लैंगिक प्रजनन का उदाहरण: मानव प्रजनन एक अच्छा उदाहरण है, जहाँ शुक्राणु और अंडाणु के मिलन से भ्रूण (zygote) का निर्माण होता है। यह भ्रूण मादा के गर्भाशय में विकसित होकर संतान का रूप लेता है।

    अलैंगिक प्रजनन :- अलैंगिक प्रजनन वह प्रक्रिया है जिसमें केवल एक ही जन्तु से संतान उत्पन्न होती है। इस प्रकार के प्रजनन में केवल एक जन्तु ही संतान को जन्म देता है, और संतान का जीनोम (अनुवांशिक सामग्री) लगभग माता-पिता के समान होता है।

      अलैंगिक प्रजनन की विशेषताएँ:

      • अनुवांशिक समानता: इस प्रक्रिया में उत्पन्न संतानों का आनुवंशिक सामग्री माता-पिता के समान होती है, जिससे विविधता की कमी होती है।
      • तेजी से संतानोत्पत्ति: अलैंगिक प्रजनन में संतानोत्पत्ति की गति तेज होती है क्योंकि इसमें लैंगिक साथी की आवश्यकता नहीं होती।
      • एकल जन्तुओं में अलैंगिक प्रजनन: कुछ प्रोटोजोआ, जैसे कि अमीबा और पैरामीशियम, तथा कुछ जलीय जन्तु, जैसे हाइड्रा, अलैंगिक प्रजनन करते हैं।

      अलैंगिक प्रजनन के उदाहरण: अमीबा एक कोशिका विभाजन के माध्यम से संतान उत्पन्न करता है। इस प्रक्रिया को विभाजन (Binary Fission) कहते हैं, जहाँ अमीबा की एक कोशिका विभाजित होकर दो नई कोशिकाएँ बनाती है, जो संतान के रूप में जानी जाती हैं।

      जन्तुओं में प्रजनन की प्रक्रियाएँ

      निषेचन (Fertilization):- निषेचन वह प्रक्रिया है जिसमें नर जन्तु के शुक्राणु का मादा जन्तु के अंडाणु से मिलन होता है। यह मिलन विभिन्न प्रजातियों में भिन्न हो सकता है:

        • आंतरिक निषेचन (Internal Fertilization): इसमें शुक्राणु का अंडाणु से मिलन मादा के शरीर के अंदर होता है। जैसे कि मानव, गाय, कुत्ता आदि में।
        • बाहरी निषेचन (External Fertilization): इसमें शुक्राणु और अंडाणु का मिलन मादा के शरीर के बाहर, सामान्यत: जल में, होता है। जैसे कि मछलियाँ और मेढ़क में।

        भ्रूण का विकास (Embryo Development):- निषेचन के बाद जो प्रारंभिक कोशिका बनती है उसे भ्रूण कहते हैं। यह भ्रूण विभाजित होकर कई कोशिकाओं में बदलता है और धीरे-धीरे नयी संतान का रूप लेता है। कुछ जन्तुओं में यह भ्रूण मादा के शरीर के अंदर विकसित होता है, जबकि कुछ जन्तुओं में यह बाहर विकसित होता है।

        जन्म और वृद्धि (Birth and Growth):- भ्रूण के विकास के बाद जन्तु का जन्म होता है। जन्म के बाद, संतान का विकास प्रारंभ होता है और वह वयस्कता तक पहुँचती है। इस प्रक्रिया के दौरान, संतान में शारीरिक और मानसिक विकास होता है, जो उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।

        जन्तुओं में प्रजनन के महत्त्व:- प्रजनन जन्तुओं के जीवन में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके बिना, किसी भी जन्तु की प्रजाति का अस्तित्व संभव नहीं है। प्रजनन से:

        • जीवन की निरंतरता: प्रजनन के माध्यम से जीवन की निरंतरता बनी रहती है।
        • विविधता: लैंगिक प्रजनन के माध्यम से जन्तुओं में आनुवंशिक विविधता आती है, जिससे वह विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं।
        • अनुकूलन: विविधता के कारण जन्तु विभिन्न परिस्थितियों में अनुकूलित हो सकते हैं और अपनी प्रजाति को बचाए रख सकते हैं।

        निष्कर्ष

        जन्तुओं में प्रजनन एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है, जिससे प्रजातियों का अस्तित्व और विकास सुनिश्चित होता है। लैंगिक और अलैंगिक दोनों प्रकार के प्रजनन के माध्यम से जन्तु अपनी संतान को जन्म देते हैं और अपनी विशेषताओं को आगे बढ़ाते हैं। Bihar board class 8 science chapter 15 notes में इस विषय का गहन अध्ययन किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की समझ विकसित हो सके।

        Leave a Comment